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अस्मिता का दर्पण | ऑनलाइन बुलेटिन

©डॉ. वृंदा साखरकर, बहामास

परिचय:– गायनॉकॉलॉजिस्ट हैं, जन्म वर्धा के महाराष्ट्र में हुआ, 5-6 साल भारत में सेवा के बाद बहामा देश में सरकारी अस्पताल से जड़ीं, आप गायनॉकॉलॉजिस्ट विभाग की प्रमुख हैं, पति डॉ. प्रशांत साखरकर, ईलीओनिस यूनिवर्सिटी में फारमाकालॉजी के प्रोफेसर तथा विभाग प्रमुख हैं और शिकागो, अमरीका में रहते हैं, आपने युनो में 1993 में दलितों पर अत्याचार तथा उत्पीड़न के ख़िलाफ़ पेपर पेश किया था।


 

आज हम हम हैं

क्यों कि

कल तुम तुम थे

ये तुम्हारी ही फूंकी हुयी

जीवन तान है

जिसकी बांसुरी हम आज बजा रहे हैं

ये तुम्हारा ही पिलाया हुआ पानी है

जो हमारे चेहरों पर चढ़

हमारी अस्मिता का दर्पण बन गया है

ये तुमने ही कानों में डाले हुए बोल हैं

जिन्हें बोलकर हम दुनिया की बोलती बंद कर रहे हैं

ये तुम्हारा ही अचल, दृढ़ वजूद है

जिसने हमारे रीढ़ की हड्डी को अब भी सीधा बनाये रखा है

ये तुम्हारी विद्वत्ता का चंदनमयी सुगंध है

जिससें गंधित हो हम अमानवीय दुर्गंध हटाने की कोशिश कर रहे हैं

तुम जो थे

ना….

तुम जो हो

तुम्हारे होने से ही

हम आशा की लौ और

क्रांति की ज्वाला को मिलाकर

समाज परिवर्तन की मशाल लिए

चले जा रहे हैं

चले जा रहे हैं …


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