कुछ पल यादों के नाम …
©सरस्वती साहू, (शिक्षिका), बिलासपुर, छत्तीसगढ़
कुछ पल यादों में गुजार दूं
बीते लम्हों को यादों की बयार दूं
कुछ यादें दर्द में डूबी कुछ सुकून देती है
कभी नैन भर आते कभी खुशी, चैन देती है
तनिक लम्हों को यादों में मुस्करा गुजार लूं
वक्त चलता है सब छोड़ के आगे
फिर वक्त के पीछे भला क्यों भागे
वक्त ने छोड़ा भाग अपने समेट कर संवार दूं
हाथ से छूटते पल मुट्ठी के रेत बन
उन पलों को निहारते नयन मन ही मन
अतीत के लम्हों को फिर से निहार लूं
जब -जब तनहाई ने घेरा
गुजरे यादों ने डाला डेरा
उन यादों से जीने को लम्हें उधार लूं
जीवन के पड़ाव में कुछ पाया, कुछ खोया
चुन -चुनकर पलकों के तले शिद्दत से संजोया
सजते यादों को बंद निगाहों से दीदार लूं
ढल गए वो दिन आज को छोड़कर
नाता था कभी जो हमसे गए जो तोड़कर
कुछ पल उन यादों के नाम कर मन को करार दूं ….