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नज़र के सामने nazar ke saamane

©कुमार अविनाश केसर

परिचय– मुजफ्फरपुर, बिहार


 

 

कोई सितारा टिमटिमाया इस शहर के सामने,
परछाइयों से कोई गुज़र गया नज़र के सामने।

 

मैं दीप जला के बैठा ही था अंधेरे में कल यहाँ,
कोई साये सा गुज़र गया मेरी नज़र के सामने।

 

कल मेरा शहर बंद है, आज ये अखबार ने कहा,
शायद कोई हादसा हुआ है किसी नज़र के सामने।

 

मैं सदमे में दिल थाम के बैठ गया अपना हरसूँ,
शायद कोई रकीब गुज़र गया यूँ नज़र के सामने।

 

अब तो किसी पर ऐतबार भी नहीं होता ‘केसर’,
ज्यों ही वह जुबान से फिर गया नज़र के सामने।

 

 


 

 

nazar ke saamane in front of eyes

 

 

A star twinkled in front of this city,
Someone passed through the shadows in front of the eyes.

 

I was sitting here in the dark with the lamp lit yesterday,
Some shadow passed in front of my eyes.

 

Tomorrow my city is closed, today this newspaper said,
Maybe some accident has happened in front of some eyes.

 

I sat down holding my heart in shock,
Maybe some trick has passed in front of my eyes.

 

Now no one even bothers about ‘saffron’,
As soon as he went back in front of the eyes.

 

 

बुद्ध होने के लिए buddh hone ke lie

 

 


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