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श्रमिकों का सम्मान | ऑनलाइन बुलेटिन

©इंदु रवि, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश

परिचय– औरंगाबाद, उत्तर प्रदेश, शिक्षा – एमए (हिंदी साहित्य), एमए (दलित साहित्य-अंबेडकर विचारधारा), बीएड, यूजीसी नेट.


 

मजदूर है वह, बनाओ

मत उसे मजबूर ।

दो रोटी की, खातिर

दिन-रात करता है मेहनत ।

दो समय पर

उसका मेहनताना ।

हक है उसका भी

सम्मान पाना ।

मत मारो उसे

गरीब समझ कर

कभी ताना ।

कड़ा श्रम करता है

इमानदारी पे मरता है ।

गरीब होता है बेशक पर

मानवीय गुणों से

सुशोभित होता है

सुकून से परिवार के साथ

रोटी खाता है ।

सुकून छीन जाता उसका

जब अकारण मालिक से

दो-चार सुन जाता है ।

मैंने देखा है

मेहनत करते हुए उन्हें

अपने पैसे के लिए

गिड़गिड़ाते हुए भी ।

और देखा है

किसी को उनके मेहनत का सम्मान करते हुए भी ।

सम्मान और समानता

चाहिए सभी को ।

मानवता निभानी चाहिए

सभी को ।

घर बनाते, सामान बनाते,

उगाते वही धान हैं ।

श्रमिकों का करो सम्मान

वही देश की शान हैं -2


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