इंसान की, हां यही पहचान | ऑनलाइन बुलेटिन
©गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
परिचय– गजनपुरा, बारां, राजस्थान
इंसान की, हां यही पहचान है।
हर हाल में, अगर वह इंसान है।।
सुख – दुःख तो, जीवन की कसौटी है।
हर दौर में जिंदा, अगर ईमान है।।
इंसान की, हां——————–।।
दौलत को पाकर, नहीं भूले जमीं को।
दूसरों से पहले, देखें अपनी कमी को।।
सबका सम्मान करें, वह सच्चे मन से।
उसके दिल में, अगर नहीं अभिमान हो।।
इंसान की, हां——————–।।
नहीं भटके कभी वह, अपनी राह में।
दर्द नहीं दे किसी को, अपनी चाह में।।
आ जाये कभी भी, मुसीबत कोई।
फिर भी नहीं, अगर वह शैतान हो।।
इंसान की, हां——————–।।
उसको प्यार हो, अपने चमन- जहान से।
दिल में रखें नहीं फर्क, किसी इंसान से।।
अपने फर्ज और वतन पर, कुर्बान हो।
दिल में बसी, अगर गीता- कुरान हो।।
इंसान की, हां———————।।