फागुन के महीनवा…
©श्याम कुंवर भारती
परिचय- बोकारो, झारखंड
भोजपुरी होली गीत
डह _डह डहके मोर परनवा हो।
अइले फागुन के महीनवा।
सखी लोग के अइले सजनवा हो।
अइले फागुन के महिनवा।
दुबई में जाके पिया हमके भूली गइला।
केवन सवतिया संगवा नेहिया लगवला।
सुधियो ना लेहला हमरो बेइमनवा हो।
अइले फागुन के महिनवा।
ठीक नाही कईला पिया फागुन में ना अइला ।
सालो साल जोहली हमसे होलियो ना खेलला।
जीयरा जरावे कोइली गाई गाई गनवा हो।
अइले फागुन के महिनवा।
खेतवा में देखा पियर सरसो फुलाइल।
गेंहुआ के बाली झूमे हरियर मटर गदराइल।
महुआ के कोंचवा चुये रस मदनवा हो।
अइले फागुन के महिनवा।
पेडवा की डलिया पर कोइली मगन गावे गनवा ।
अमवा के मोजरा सिहरावे बैरी पवनवा।
तिल तिल जरे भारती पिया मोर योवनवा हो।
अइले फागुन के महिनवा।
डह डह डहके मोर परनवा हो।
आइले फागुन के महिनवा।
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