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अशिष्टता की निशानी | Onlinebulletin.in

©द्रौपदी साहू (शिक्षिका), कोरबा, छत्तीसगढ़ 

परिचय– जिला उपाध्यक्ष- अखिल भारतीय हिंदी महासभा.


 

 

#Onlinebulletin.in | #Onlinebulletin | हम सभी एक जैसे ही हैं किंतु हमारे व्यवहार रंग -रूप, रहन-सहन, बोलचाल में भिन्नता है। हम सभी अपने आसपास मौजूद लोगों को, अपने रिश्तेदारों को, अपने मित्रों को, सगे संबंधियों को खुश रखने की कोशिश करते हैं और उनके विश्वास और उम्मीद के अनुरूप कार्य करने की कोशिश करते हैं किंतु कभी-कभी जाने-अनजाने में हमसे कुछ गलतियाँ हो जाती हैं। जिससे हम उनके गुस्से व क्रोध का शिकार होते हैं।

 

इंसान क्रोध में सामने वाले को कुछ भी बोलने लगता है। वह बड़े-छोटे का रिश्ता भी भूल जाता है और अनाप-सनाप गालियाँ देने लगता है। क्या गाली देना उचित है? गाली देने से क्या सामने वाले की गलती सही हो जाती है? क्या गाली देने से बिगड़े हुए काम बन जाते हैं? क्या आप के मुख से गाली सुनकर लोग आपकी तारीफ करेंगे? क्या गाली देना अच्छी आदत है? क्या किसी की गलती के लिए उसे गाली दिए बिना दूसरा उपाय नहीं किया जा सकता?

 

गाली देना अच्छी आदत नहीं है और न ही यह उचित है! किसी की गलती पर उसे समझाने की बजाय यदि आपके मुख से गाली निकलते हैं तो यह आपके अशिष्ट होने के प्रमाण हैं! किसी समस्या का समाधान गाली से नहीं होता और न ही कोई बिगड़ा हुआ काम बनता है! फिर क्यों गाली देकर खुद को बदनाम करते हैं? आपके मुख से गाली सुनकर लोग आपकी निंदा करते हैं न कि आपकी तारीफ! जिसके लिए आपके मुख से गाली निकल रही है वह सुधरने के बजाय और भी बिगड़ने लगता है! वह भी आपकी गाली का जवाब गाली में देने लगता है! इस तरह झगड़ा भी शुरू हो जाता है।

 

यदि आप सही हैं और कोई आपको बेवजह गाली दे रहा हो तो आपको उस पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देना चाहिए। उसे अनसुना कर आपको अपना काम करना चाहिए। यदि आप उसके गाली का जवाब गाली से देने लगते हैं, इसका अर्थ है आप उसके गाली को स्वीकार करते हैं और उसके अपशब्द और अशिष्टता को अपनाकर अपनी अशिष्टता का प्रदर्शन करते हैं।

 

गाली देने के लिए आप माँ, बहन, कुत्ता, गधा, सूअर, उल्लू आदि निर्दोष प्राणी को भी बदनाम करते हैं। जन्म देने वाली माँ के नाम पर ऐसा अनादर भाव, स्नेह करने वाली बहन के नाम पर गाली देना, प्रकृति में पाए जाने वाले जीवों के नाम पर गाली देना आपकी अशिष्टता और उनके प्रति अनादर भाव को व्यक्त करता है। आज के समय में कुत्ता जो कि ईमानदार जंतु है को कुत्ता कहने में और पक्षी उल्लू को उल्लू कहने में शर्म आती है। कभी अगर कह दें कि- ” देखो कुत्ता जा रहा है!” तो लोग समझते हैं कि गाली दे रहा है।

 

गाली देकर आप किसी समस्या का समाधान नहीं कर सकते किन्तु समस्या बढ़ा जरूर सकते हैं।

 

इंसान को अपने क्रोध पर नियंत्रण रखने की कोशिश करनी चाहिए। जिससे उसका मानसिक और शारीरिक संतुलन बना रहे। जब इंसान बहुत अधिक क्रोधित होता है तो उसके सोचने समझने की क्षमता कम हो जाती है। वह बड़ा-छोटा नहीं देखता, न रिश्ता-नाता देखता है! वह सब पर बरस पड़ता है। क्रोध में बरस पड़ना स्वाभाविक है किंतु गाली देना आपके क्रोधी, अक्षम्य व अशिष्ट होने के प्रमाण हैं।


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