गुरु ईश्वर के प्रतीक | Newsforum

©राहुल सरोज, जौनपुर, उत्तर प्रदेश
शून्य से शिखर तक साथ चलने वाले,
इला की अजानता में इल्म भरने वाले,
ज्ञान के पुंज हैं वो जीवन के प्रदीप हैं,
ईश्वर के प्रतीक में गुरु हमारे बीच हैं।।
जन्म से ही चल पड़ा सीखने का कारवां,
पहली गुरु मेरी मां बनी, दूसरे मेरे पिता,
कुटुंब से मिली मुझे जीने की पहली सीख है,
ईश्वर के प्रतीक में गुरु हमारे बीच हैं।।
मैं बड़ा हुआ गुरु ने पढ़ना सिखाया,
समाज की कुरीतियों से लड़ना सिखाया,
मानवता की राह पर आगे बढ़ना सिखाया,
शिक्षा ही भविष्य मेरा, शिक्षा रहा अतीत है,
ईश्वर के प्रतीक में गुरु हमारे बीच हैं।।
धन्य हैं गुरु जो समाज को बनाते हैं,
ज्ञान के प्रकाश से तिमिर को मिटाते,
धन्य हैं गुरु जो हमको जीना सिखाते हैं,
गुरु का सम्मान ही गुरु को सच्ची भेंट है,
ईश्वर के प्रतीक में गुरु हमारे बीच हैं।।