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सच की ताकत | ऑनलाइन बुलेटिन

©संतोष जांगड़े

परिचय-बलौदाबाजार, छत्तीसगढ़.


 

 

किसको भरम है दुनिया में ? जो सच को भी ढंक देगा।

झूठ तो एक गुब्बारा है जो, आज नहीं कल फूटेगा।

 

कुछ पल ही जग की नजरों से, वह नहीं भी दिखेगा।

सूरज की गर्मी में देखो, कब तक के वह टिकेगा?

 

सच के ताकत से फिर देखो, झूठ का वहम टूटेगा।

सच्चाई तो अजर-अमर है, कभी नहीं वह मिटेगा।

 

समतावादी, न्याय व्यवस्था, के जो भी दोषी होगा।

गिन-गिन कर हिसाब भी होगा, नहीं कोई भी छूटेगा।

 

गरीब की रोटी-रोजगार को, जो कोई भी छिनेगा।

मानवता को लूटने वाला, एक-एक करके पिटेगा।

 

सच जब अपने रूप में आकर, एक दहाड़ लगाएगा।

तब अन्यायी-अत्याचारी के, पाप का घड़ा फूटेगा।

 

अपने दोनों भुजाओं में, भरे हैं मेहनत के मोती।

लूट रहे हैं लूट ले वह तो, कब तक हमको लूटेगा?

 

शोषण करने वाला एक दिन, अपने करम पर रोयेगा।

पश्चाताप के धुंध में हरदम, हरपल वह तो घुटेगा।

 

बिन मेहनत के जो खायेगा, पर के खून को चूसेगा।

जो है सबका न्यायकर्ता, तुमको भी तो कुटेगा।

 

सबका हक हो एक बराबर, फिर क्यों-कैसे रूठेगा?

सबको साथ में लेकर के चल, कोई नहीं फिर छूटेगा।


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