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भीगा भीगा मौसम…

©पद्म मुख पंडा 

परिचय- रायगढ़, छत्तीसगढ़


 

मौसम सुहावना लगता है, मन प्रसन्न हो जाता है,

प्रकृति के इस भव्य रूप से रहा हमारा नाता है।

जब बयार बहती कानन में, खुशियां भर देती आनन में,

मानव जीवन सुखी और संपन्न तभी कहलाता है।

धन दौलत से क्रय शक्ति, निश्चित अपनी बढ़ जाती है,

लेकिन दौलत वाला भी तो, चावल रोटी खाता है!

जब संतोषी सदा सुखी, यह मंत्र सिखाया है हमको,

भोगवाद की मृग मरीचिका, कष्ट हमें पहुंचाता है।

जब घिर घिर आती है बरखा, एक समां बन जाता है,

पशु पक्षी मानव वनस्पति, सबको कितना भाता है!

मुझे भीगना अच्छा लगता, बरखा की इन बूंदों से,

आप मज़े लो, जैसी मर्ज़ी, पास आपके छाता है!

***

पद्म मुख पंडा वरिष्ठ नागरिक कवि लेखक एवम विचारक ग्राम महा पल्ली जिला रायगढ़ छत्तीसगढ़

 

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