अद्भुत प्रेमकथा | newsforum
©प्रीति विश्वकर्मा, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
श्याम वर्ण है श्याम का, राधे चन्द चकोरी
मन को भावे कृष्ण के, ये वृन्दावन की छोरी
राधे रग रग श्याम बसे, राधे श्याम के उर्बसी
इहि चमके सम रवि, उहि सम लागे शशि
राधे राधे जग रटॆ, मिल जावे है श्याम
इक अनोखी प्रीति है, लगे कहा विराम
राधेकृष्ण की प्रीति लगे, ज्यो दीपक संग बाती
संग जले संग बुझे, करे रोशन संग राती
राधे रंगी श्याम रंग, चढ़यो ना दूजो रंग
ज्यो ना बरसे प्रेम रंग, त्यो होली लगे बेरंग
अधूरी होकर भी, मोहब्बत क्या रंग लायी
जुबां रटॆ राधे राधे, कृपा मनोहर ने बरसायी
ना बनी अर्धांगिनी, वो रिश्ता अनोखा था
राधे थी श्याम की, उन्ही की रही, जग ने देखा था