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जय गनेश देवता…

Ashok Kumar Yadav 'Shikshadoot', Mungeli, Chhattisgarh 1200
अशोक कुमार यादव

©अशोक कुमार यादव

परिचय- मुंगेली, छत्तीसगढ़.


 

तोर जय होवय गनेश देवता। करहूँ मैंय हा मान-मनौता।।

जिनगी मा सुख तैंय लाए हच। बिगड़े काम ला बनाए हच।।

 

बिकट दुख मैंय पावत रेहेंव। अपने-अपन नठावत रेहेंव।।

कुलूप छाए रहिसे अँधियारी। किरपा करके करे उजियारी।।

 

एक दिन करेंव परतिगिया। घर ले जाहूँ गनपति मोरिया।।

रोज पूजा-पाठ, सेवा करहूँ। तोर नाव ला मने-मन सुमरहूँ।।

 

तोला दाई-ददा जान के लाहूँ। मीठ लड्डू के भोग लगाहूँ।।

धोतिया, बंगाली तोला पहिराहूँ। तोर हाथ-पाँव ला दबाहूँ।।

 

तोर बंदना ला रात-दिन गाहूँ। नरियर अउ फूल चढ़हाहूँ।।

धूप,दीया अउ अगरबत्ती जलाहूँ। घेरी-बेरी आरती उतारहूँ।।

 

रहिबे मोर संग दस दिन ले। ओखर बाद चल देबे छोड़ के।।

मंगल, समरिद्धी, मोला देके। गियान के खूब बरसा करदे।।

 

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