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प्रभु मुझको वर दो | Onlinebulletin

©रामकेश एम यादव, मुंबई

परिचय– सेवानिवृत शिक्षक, समाजसेवी, जन्म- उत्तर प्रदेश के तेजपुर में 5 फ़रवरी,1961 को किसान परिवार में हुआ, शिक्षा- एमए, बीएड, प्रकाशित पुस्तक- कारगिल एक झलक, 1700 से अधिक लेख, साक्षात्कार आदि विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित, सैकड़ों राष्ट्रीय स्तर के साहित्यिक सम्मान से सम्मानित.


 

 

जीवन ज्योति उज्ज्वल कर दो

ऐसा प्रभु मुझको वर दो।

 

सच्चाई की डगर चलूँ मैं,

पानी – सा बहता जाऊँ।

अभी हाथ में भले है जुगुनू,

उस सूरज को पाऊँ।

तूफानों का रुख मैं मोडूँ,

हृदय फौलादी कर दो।

ऐसा प्रभु मुझको वर दो,

जीवन ज्योति उज्ज्वल कर दो।

 

रहे पड़ोसी भूखा यदि तो,

मुझसे न खाया जाए।

घुटे न मेरे शब्द कभी भी,

सत्य कहीं न पीटा जाए।

प्यार की पोखर जो भी खोदे,

गंगा जल उसमें भर दो।

ऐसा प्रभु मुझको वर दो।

जीवन ज्योति उज्ज्वल कर दो।

 

मज़बूरी में बिके न कोई,

गैर न घूँघट खोले।

अँधियारे में सदी न सोए

घर – घर में चंदा डोलें।

नभ की भौहों को प्रभुवर,

सागर से भर दो।

ऐसा प्रभु मुझको वर दो।

जीवन ज्योति उज्ज्वल कर दो।

 

मेरे हक़ का वो नील गगन,

ले उड़ा कोई न जाये।

रहमोकरम से ईश्वर तेरे,

दूधो – पूतों नहायें।

हरियाली से थिरके फिजा

प्यार का रंग भर दो।

ऐसा प्रभु मुझको वर दो,

जीवन ज्योति उज्ज्वल कर दो।


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