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छेरछेरा तिहार | ऑनलाइन बुलेटिन

©सरस्वती राजेश साहू, बिलासपुर, छत्तीसगढ़


 

 

अनदेबी के साधना, करलौ सबो सुजान।

धरती मैय्या लाल ए, जम्मो हमर किसान।।

 

छेर छेरा ल माँगले, आये सुघर तिहार।

अनपुरना के दान ले, होही जग उद्धार।।

 

चुरकी सूपा टूकनी, देंवय झोंकय दान।

लइकन बच्चन ओसरी, पारी माँगय धान।।

 

मिर्चा भजिया खूरमी, बरा जब्बड़ मिठाय।

चना गुड़ अऊ रेवड़ी, देबी भोग लगाय।।

 

छेर छेरा म साँझ ले, सुआ डंडा ल नाच।

छतीसगढ़ही गीत ला, घूम -घूम के बाँच।।

 

पुस महिना अउ पुरनिमा, छेर छेरा तिहार।

सुघर परब ए धान के, अनदेबी जोहार।।

 

हाँसी बोली गोठ मा, सुआ ददरिया रास।

बैरी के जस बैर ला,  मारय बोल मिठास।।

 

भरबो कोठी धान ले, करे कमई किसान।

हरसय जमो तिहार मा, छेर छेरा मितान।।


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