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राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले और उनका अमूल्य योगदान…

Rajesh Kumar Buddh,
राजेश कुमार बौद्ध

©राजेश कुमार बौद्ध

परिचय- संपादक, प्रबुद्ध वैलफेयर सोसाइटी ऑफ उत्तर प्रदेश


Father of the Nation Jyotiba Phule is considered the father of social revolution in modern India. He was born in a backward caste gardener family, due to which he was expelled from school. In 1841, with the help of an officer named Gaffar Veg Munshi, he again entered the Christian Missionary School and passed the seventh standard in 1847. He was greatly influenced by Shivaji and George Washington. His greatness can be gauged from the fact that Bharat Ratna Babasaheb Dr. Bhimrao Ambedkar, the greatest Indian and the symbol of knowledge, considered Jyotiba Phule as his ideal only when he passed seventh grade. In the light of Jyotiba Phule’s education policies, Babasaheb Dr. Ambedkar presented the Primary Education and University Education Amendment Bill while being a member of the Mumbai Legislative Council.

 

ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन : राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले आधुनिक भारत में सामाजिक क्रांति के जनक माने जाते हैं। वे पिछड़ी जाति के माली परिवार में पैदा हुए थे, जिस कारण उन्हें स्कूल से निकाला गया था। 1841 में गफ्फार वेग मुंशी नामक अफसर के मदद से दुबारा क्रिश्चन मिशनरी स्कूल में प्रवेश लिए और 1847 में सातवीं पास किये। वे शिवाजी और जार्ज वाशिंगटन से काफी प्रभावित थे। इनकी महानता इस बात से आंकी जा सकती है कि महज सातवीं कक्षा पास ज्योतिबा फुले को महानतम भारतीय और ज्ञान के प्रतीक भारत रत्न बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर जी ने उन्हें अपना आदर्श माना। बाबा साहब डॉ अम्बेडकर जी ने ज्योतिबा फुले के शिक्षा नीतियों के आलोक में मुम्बई विधान परिषद के सदस्य रहते प्राथमिक शिक्षा और विश्वविद्यालयी शिक्षा संशोधन बिल प्रस्तुत किया था।

 

राष्ट्रपिता ज्योतिबा राव फुले जी के अमूल्य योगदान को निम्नलिखित रूप में जाना जा सकता है:-

 

ज्योतिबा फुले पहले भारतीय थे जिन्होंने 1848 में बालिकाओं और 1851 में दलितों के लिए शिक्षा का प्रबंध किया था। इस पर उन्हें काफी विरोध का सामना करना पड़ा था। मनुवादियों के दबाव में उन्हें घर निकाला गया था।

 

वे नारी शिक्षा के हीरो के रूप में उभरे थे। उनके अनुसार बहुजनों के सारी दुर्गती की जड़ अशिक्षा है, अविद्या है।

 

उन्होंने अनिवार्य मुफ्त प्राथमिक शिक्षा की मांग सरकार से किया था, ज्योतिबा फुले ने किसानों की हालत को सुधारने के लिए सरकार से मुफ्त खाद और बीज देने की मांग की थी। वे किसान क्रांति के प्रतिक थे।वे पहले सामाजिक क्रांतिकारी थे जिन्होंने ब्राह्मणवाद से सामना करने हेतु दलित-पिछड़े वर्ग की जनसँख्यानुपात में नौकरियों में आरक्षण की मांग ब्रिटिश सरकार से किया।

 

वे सभी जाति की विधवाओं की नारकीय स्थिति को अनुभूत कर उनकी दशा सुधारने की दिशा में कार्य करने वाले पहले भारतीय थे।

 

राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले पहले भारतीय थे जिन्होंने पैतृक पुरोहिताई की परंपरा की समाप्ति के लिए सन 1873 में ” सत्यशोधक समाज ” के माध्यम से अभियान चलाया। यह उनका ब्राह्मणवाद पर घातक हमला था।

 

सत्यशोधक समाज का संघर्ष का ही परिणाम है कि आज प्रत्येक रविवार को कार्यालयों में अवकाश रहता है। यह 1889 से लागू है। वे ब्राह्मणी शास्त्रों, व्यस्थाओं और परंपराओं में विश्वास नहीं करते थे, ज्योतिबा फुले कभी भी मूर्तिपूजक नहीं थे। वे प्रकृति में विश्वास करते थे।

 

उन्होंने अनिवार्य मुफ्त प्राथमिक शिक्षा की मांग सरकार से मांग की थी। ज्योतिबा फुले और उनकी जीवनसंगिनी शिक्षमाता सावित्री बाई फुले भारत के पहले दम्पति थे जिन्होंने मिल कर सामाजिक क्रांति का मूवमेंट चलाया।उनका मानना था की अंग्रेजो ने हमारे शरीर को गुलाम बनाया किन्तु ब्राह्मणवाद ने हमारे मन को ही गुलाम बना डाला है अतः ब्रह्मणवाद की खात्मा के लिए ब्राह्मणी पर्व, परम्परा और शास्त्रों की ज़ंज़ीर से मुक्त होने के लिए स्वयं आगे बढ़ कर प्रयास करना होगा .

 

आज भी ज्योतिबा फुले प्रासंगिक हैं, इनके मिशन को आगे बढ़ना हमारा मिशन होना चाहिए। उन्होंने कई पुस्तके लिखी है, जिसमें ” किसान का कोड़ा ” और ” गुलामगिरी ” प्रसिद्ध है।

 

उनका मानना था कि बहुजन समाज की सारी जातियां एक ही माँ बाप के संतान हैं। ब्राह्मणवादियों ने जाति बना कर हमें बांट दिया है,अब फिर से हमें एक होने की जरूरत है।

 

राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले और उनकी पत्नी माता सावित्रीबाई फुले भारत के पहले दम्पति थे जिन्होंने मिलकर सामाजिक क्रांति का मूवमेंट चलाया। उनका मानना था की ब्रह्मणवाद की खात्मा के लिए ब्राह्मणी पर्व परम्परा और अंन्धविश्वास से मुक्त होने के लिए स्वयं आगे बढ़ कर आन्दोलन किया। आज भी राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले के विचार प्रासंगिक हैं, इनके विचारों को आगे बढ़ना हमारा और आपका मुख्य उद्देश्य हैं।

 

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