अधिकारों की लड़ाई | newsforum
©हरीश पांडल, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
अपने अधिकारों को हासिल
करने की लड़ाई
हम सबको किस- किसने
कैसे- कैसे सिखाई
उन सभी महापुरुषों की बातें
मानने में है भलाई
हमारे अधिकारों की लड़ाई हमें
बुजुर्गों ने सिखाई
हद से गुजरना हो तो
गुजरना पड़ेगा
हक युं ही नहीं मिलता
संगठित होकर
लड़ना पड़ेगा
संगठित होने की राह
महापुरुषों ने बताई
अधिकारों को हासिल
करने की लड़ाई
हम सबको कितने
महापुरुषों ने सिखाई
लोग पूछते हैं प्रश्न
कौन से अधिकार
कौन सी लड़ाई
तब कहना पड़ता है
अपना इतिहास और संविधान
पढ़ो मेरे भाई
लड़ना है हमें
संवैधानिक लड़ाई
समानता लाने के लिए
तो संविधान बनाई
संगठित रहने की
सबको हुनर सिखाई
अपने अधिकारों को हासिल
करने की लड़ाई
सभी महापुरुषों
ने ही सिखाई
हम मूलनिवासियों की
इतिहास, संस्कृति को
मिटाने साजिश रचते रहे
वे तरह-तरह के झूठ
पाखंड, करते रहे
गुलामी की जंजीरों को
रुढीवादी दीवारों को
जातिवाद के मिनारों को
तोड़ना ही पड़ेगा
अंधश्रद्धा, चमत्कार, पाखंड
को छोड़ना ही पड़ेगा
मूलनिवासियों को एक
होना ही पड़ेगा
सब अलग-अलग हैं
इसलिए है रुसवाई
अपने अधिकारों को हासिल
करने की लड़ाई
सभी महापुरुषों ने सिखाई
कुछ लोग हमारे खिलाफ
अपनों में जहर घोलते हैं
जात-पात ऊंच-नीच
के नाम पर हमें तोड़ते हैं
साम, दाम, दण्ड, भेद नीति से
हमारे लोग ही
उनकी भाषा बोलते हैं
मूलनिवासियों की खून
एक-दूसरे के लिए
ही खौलते हैं
हम आपस में लडुते रहें
जात-पात पर बंटते रहें
यही तो उन्होंने बरसों
से है नीति अपनाई
उनके षडयंत्रों से बचने
हमें बड़े-बुजुर्गों ने
यह राह बताई
शिक्षित बनो
संगठित रहो
संघर्ष करो
मानव-मानव एक समान
हम सब एक हैं …
?सुनो
?बोलो
?देखो
जो देख, सुन और बोल नहीं सकता वह अपने आने वाली पीढ़ी के लिए मार्गदर्शक नहीं हो सकता।