सरस्वती हे शारदा मैइया | newsforum

©सरस्वती साहू, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
सरस्वती हे शारदा मैइया, ज्ञान के गंगा बोहा दे
मय मूरख अज्ञानी ओ दाई, बुद्धि, बिबेक जगा दे
सादा ओनहा पहिरके दाई, कमलासन म बैइठे
हाथ म वेद अऊ वीणा धरे, ब्रम्ह लोक म रहिथे
तोर कृपा हो जावय माता, अइसन भाग जगा दे…
वागीश्वरी अऊ ज्ञानदा मैइया, कई ठन तोरे नाव
महाज्ञानी बन जाथे दाई, जेकर ऊपर तोर छाँव
हंसवाहिनी भवसागर ले, नैइया पार लगा दे …
कंठ म जेकर वास करे तैं, गजब के सुर पा जाथे
स्वर्ग के दाई सरस्वती, तोर दया मिल जाथे
शुभता के दाई वास रहय, भारती भाग जगा दे…
तोर हाथ म पुस्तक, माला, विमला वेद धरैईया
वरदानी जगती जग म, तैं हर ज्ञान बंटैईया
सत्य, धरम ले जुरे रहंव मय, शारदा भाग बना दे …
वाग्देवी, महाश्वेता कहिथे, वीणापाणी तोला
अंधियार लागे ये जीनगी दाई, शरन म लेले मोला
मोर मन के कुरिया म माता, ज्ञान के दीया जला दे…