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यूं ही मन को हंसाएं…

©गायकवाड विलास

परिचय- मिलिंद महाविद्यालय लातूर, महाराष्ट्र


 

दुखी विधवा की व्यथा,

सिन्दूर बिना वो माथा ,

सहती गमों के घाव

अपने जीवन में।

 

सहमी सहमी रहे ,

दुखड़ा किससे कहें,

अश्क बहते नैनों से,

बेबस जीवन में।

 

जग की रीत निराली,

पिया बिना वो अकेली,

ख़ुद खुदकी सहेली ,

चलते जीवन में।

 

उजड़ी मांग सताएं,

युंही मनको हंसाएं,

जिएं तो भी कैसे जिएं,

अपने आंगन में।

 

Gaikwad-Vilas-Latur-Maharashtra
गायकवाड विलास

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