अलकरहा फेशन आगे | ऑनलाइन बुलेटिन
©बिसेन कुमार यादव ‘बिसु
परिचय– दोन्देकला, रायपुर, छत्तीसगढ़
भाषा- छत्तीसगढ़ी बोली
विधा-कविता
लोग, लईका, सियान मन ला टीबी, मोबाइल हा बिगाड़थे।
फेशन हा आज सब्बों झन के मुड़ म भुत बनके नाचथे।
फेशन के चक्कर म मनखे मन अपन संस्कृति ला भुलावथे।
रंग-रंग के आने-ताने आने देश के फेशन ला अपनावथे।
आज कल के टुरी-टुरा के ओनहा चेन्दरा होंगे।
का बताव जी टुरी बेन्दरी अऊ टुरा बेन्दरा होंगे।
चिरहा, फटहा ओनहा हे अऊ अंग-अंग हा उघरा हे।
देख तो शहरी टुरी के अब्बड़ ओकर नखरा हे।
पंईन्ट हा ओकर बुचुआ हे।
कुर्ता हा ओकर उठुआ हे।
नवा-नवा फेशन अऊ नवा टशन छागे
बेटा के फेशन म ददा के पेंशन सिरागें।
बरातु, बुधारु, बैसाखु, बिसहुआ मोहागे
फेशन के अलकरहा जमाना हा आगे।
बने बने ओनहा मन आन-तान होंगे।
बड़े-बड़े कपड़ा मन नान-नान
होंगे।
आज कल के टुरी-टुरा मन रंग-रंग के पहिनथे।
पातर-पातर ओनहा पहिने अंग-अंग हा दिखथे।
उल्टा पुल्टा ओनहा पहिने इज्जत ला गवावथे।
आखा, बाखा, खखौरी जांग जम्मों ला देखावथे।
डोकरी हा काहथे मोरो बर सलवार हे।
डोकरा हा जीन्स पहिने घलो तियार हे।
टुरा बर जीन्स अऊ टुरी बर लेगी,सलवार हे।
फेशन के भुत गा इहा सब ला सवार।
लईका पिचका माई पिल्ला मोहागे।
लाज अऊ लज्जा हा चुल्हा म जोरागे।
धोती पजामा सलुखा, पोलखा लुगारा नंदागे।
लईका हा अपन दाई के अचरा भुलागे।
अऊ कोनों भुरवा कोनों लाली कोनों करिया रंग रंगाये हे।
आनी बानी के हेयर कलर टुरा-टुरी मन कराये हे।
अऊ कोनों टुरा बालपीन लगाये हे
ता कोनों चुन्दी ला बेनी गथावथे।
कोनों डाढ़ही ला बढ़हाये ता कोनों टुरा मन मेछा ला मुढ़वावथे।
डोकरी, डोकरा लईका सियान,
सब ला ये मोबाइल हा सिखावथे।
कोन बनिहार हे अऊ कोन गौठिया हे घलो न ई चिनहावथे।