चाहत…
©उषा श्रीवास, वत्स
बुझी शमां भी जल सकती
चिंगारी तुमने दिल में जलायी है,
इज़हार-ए-मुहब्बत की चाहत में
सोयी ख्वाहिशें अपनी जगायी है।
तमन्ना रखते हो आसमां छू लेने की
निभा सको ऐसा वादा करते हो,
किस्मत नही मोहताज लकीरों की
मुहब्बत में इबादत का इरादा रखते हो
मजबूत इरादों की जादूगर हूँ
पल में तोला-मासा करती हूँ,
असमंत-अश्मंत परखी गई
पीतल में सोना पासा करती हूँ।
नही आती कोई तरकीब मुझको
किताबों में नाम तुम्हारा लिखती हूँ,
है दम इतना मेरी मोहब्बत में
चाँद से दीदार-ए-मुहब्बत करती हूँ।
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