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दिवाली में खुशहाली | ऑनलाइन बुलेटिन

©देवप्रसाद पात्रे

परिचय- मुंगेली, छत्तीसगढ़


 

 

द्वार-द्वार में दीप जला लो।

आगोश में आई खुशहाली।।

घर-आंगन को महका लो।

मिल के मना लो दिवाली।।

 

हर सीने में प्रेम का साज लिए।

हंसी खुशी का मन में राग लिए।।

हर गली की दुकानें हैं सजने लगे।

जगमगाते नए रंग में दिखने लगे।।

 

टिमटिमाते बिजलियाँ फूल मालाएं,

शोभा बढ़ गई है बाजारों की।

आसमां से उतर आई हो जैसे,

बारात चाँद-सितारों की।।

 

चौमास कड़ी मेहनत खेतों में।

आज खुशी से झूम रहे किसान।।

बारहमास पेट की भूख मिटाने।

धन-धान्य से भर रहे खलिहान।।

 

अलबेलों की आतिशबाजियां,

आकाश में गुंजायमान है।

सर्वधर्म समभाव समाया,

देखो मेरा भारत महान है।।

 

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