पहला कदम | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन
©अशोक कुमार यादव
परिचय- राष्ट्रीय कवि संगम इकाई के जिलाध्यक्ष, मुंगेली, छत्तीसगढ़.
विजय के लिए लक्ष्य पर ध्यान हो,
नित्य कर्म में हो लगन खा कसम।
एक ठौर रख सोच और समझ कर,
जीवन जंग जीत का पहला कदम।।
सही दिशा में पतवार को घुमाते चल,
नदी की धारा तीव्र हो रही है प्रवाहित।
मत छोड़ पालों को हवाओं के भरोसे,
नाव डूबाने बैठा जल भंवर सन्निहित।।
पर्वत शिखर दुर्गम, अटल, विकराल,
आगे बढ़ तू फहराने जीत का झण्डा।
चढ़ेगा,गिरेगा कई-कई बार फिसलेगा,
ध्येय पाने अपना अनेक हथकण्डा।।
जीवन कुरुक्षेत्र युद्ध का खुला मैदान,
चक्रव्यूह भेदने धनुर्धारी अर्जुन बन।
रख पास सदा गीता ज्ञान दाता कृष्ण,
फिर लगा दे अपने कर्म में तन-मन।।
जंग लड़ने के लिए खुद को तैयार कर,
ध्यान से लगा एक तीर से एक निशाना।
दृढ़ संकल्पित हो वैमनस्य को कर ढेर,
जयन में शामिल होगा सारा जमाना।।