.

भगवान ने तुमको मेरे लिए ही बनाकर भेजा है बच्चू… अब तो मैं तुम्हारी जान नहीं छोड़ने वाली, जूही ने सुधीर का हाथ पकड़कर कहा… पढ़ें कहानी- जूही की महक का भाग- 19 | ऑनलाइन बुलेटिन

©श्याम कुंवर भारती

परिचय- बोकारो, झारखंड


 

 

सुधीर जूही की मां को लेकर जिला अस्पताल सुबह नौ बजे के करीब पहुंच गया। उसके आते ही डॉक्टरों की टीम ने तुरंत जूही की मां को भर्ती किया और उसका जो भी जरूरी जांच करना था शुरू कर दिया। दो तीन घंटे में सारी जांच रिपोर्ट आते ही उसका इलाज भी शुरू कर दिया गया। सुधीर ने थोड़ी राहत की सांस लिया।

 

जूही को घायल अवस्था में जैसे ही अस्पताल लाया गया डॉक्टर पहले से तैयार थे उसका तुरंत इलाज शुरू कर दिया गया जूही बेहोश हो चुकी थी। डॉक्टरों ने उसका खून बहना बंद कर दिया मगर सबने कहा- गोली पेट में कहीं फंस गई है उसे निकालना बहुत जरूरी है, वरना शरीर में जहर फैल जाने से जाने से इनकी जान भी जा सकती है। यहां ऑपरेशन की कोई व्यवस्था नहीं है। इसलिए इनको फौरन जिला अस्पताल ले जाना होगा। ताकि ऑपरेशन कर इनकी जान बचाई जा सके। उधर, जिला मुख्यालय में जैसे ही डीसी, डीडीसी और एसपी को खबर लगी उन्होंने प्रखंड अस्पताल को कहा और अस्पताल प्रभारी से कहा दो डॉक्टर और नर्स के साथ जूही को एंबुलेंस से तुरंत जिला अस्पताल में भेजें।

 

डीसी ने खुद सिविल सर्जन को फोन करके कहा आप ऑपरेशन की पूरी तैयारी कर के रखें वीडियो को गोली लगी है उसे हर हाल में बचाना है। फिर डीडी ने मामले की पूरी रिपोर्ट बनाकर राज्य सरकार को भेज दिया। मामला मुख्य सचिव से होते हुए मुख्यमंत्री तक पहुंच गया। पूरी राज्य सरकार हरकत में आ गई। गृह सचिव ने मामले को संज्ञान में लेते हुए विधायक को पाताल से भी खोज निकालने का आदेश एसपी को दे दिया। मुख्यमंत्री ने डीसी से फोन पर कहा वीडियो को हर हाल में बचाना है।

 

सुधीर की मां को जैसे ही जूही को गोली लगने का पता चला वो रोने लगी उसे आज ही सुबह की घटना याद आ गई कितना प्यार से उसने जूही को अपने हाथों से रोटी खिलाया था। उसने रोते हुए जूही के ड्राइवर से कहा मुझे तुरंत अस्पताल ले चलो। ड्राइवर भी सुनकर रोने लगा। उसने तुरंत गाड़ी निकाली और उसे अस्पताल ले गया लेकिन तब तक जूही को जिला अस्पताल भेज दिया गया था। ड्राइवर सुधीर की मां को लेकर जिला अस्पताल चल दिया। जया को जूही को गोली लगने की खबर मिली तो वो भी अपने आप को रोक नहीं पाई उसने अपनी गाड़ी निकाली और खुद ही ड्राइव करते हुए जिला अस्पताल के लिए चल दी।

 

अस्पताल में एक तरफ जूही की मां का इलाज चल रहा था। सुधीर अस्पताल के बाहर चाय पी रहा था तभी उसने देखा एक एंबुलेंस बड़ी तेजी से सायरन बजाती हुई अस्पताल में दाखिल हुई। पीछे एक पुलिस की गाड़ी भी थी। उसने चाय पीना छोड़कर एंबुलेंस की तरफ ध्यान दिया और उधर लपका आखिर कौन इतना सीरियस है। पीछे पुलिस की गाड़ी क्यों आई है। अस्पताल के गेट पर रुकते ही तुरंत उसका पीछे का गेट खुला और स्ट्रेचर पर घायल हालत में जूही के देखकर उसका कलेजा मुंह को आ गया। अरे ये तो जूही मैडम है। वो दौड़कर उधर लपका मगर पुलिस ने उसे रोका तभी बड़े बाबू सोमनाथ ने उनको रोकते हुए कहा इसको आने दें ये मैडम का ही आदमी है।

 

सुधीर दौड़कर जूही के पास पहुंच गया और साथ- साथ अस्पताल के अंदर इमर्जेंसी वार्ड में चला गया। डॉक्टरों ने तुरंत उसे ऑपरेशन थियेटर में पहुंचा दिया। जांच करने पर पता चला खून काफी बह जाने से खून की कमी हो गई है। ऑपरेशन के लिए दो यूनिट खून की जरूरत है। बाहर आकर एक डॉक्टर ने कहा दो यूनिट खून की जरूरत है। मगर उस ग्रुप का बल्ड तत्काल उपलब्ध नहीं मिला। सुधीर ने कहा डॉक्टर साहब मेरा खून चेक कर लें शायद मेरा ग्रुप मैच कर जाय। जांच करने पर सुधीर का खून जूही के खून से मैच कर गया। सबने राहत की सांस ली। सुधीर को ऑपरेशन थियेटर में लिटाकर खून निकाला जाने लगा और तुरंत ऑपरेशन शुरू किया गया। कई घंटो की मेहनत से डॉक्टरों ने जूही के पेट से गोली निकाल दिया। डॉक्टरों ने भगवान को धन्यवाद दिया और कहा ऑपरेशन सफल रहा। अब मैडम खतरे से बाहर हैं।

 

थोड़ी ही देर में सुधीर की मां और जया भी पहुंच गई। उसकी मुलाकात सुधीर से हुई। उसको देखते ही वो रोने लगी। सुधीर ने उसे चुप कराते हुए कहा मत रो मां जूही मैडम अब बिल्कुल ठीक है। उनका ऑपरेशन सफल रहा है। फिर उसने जूही की मां से अपनी मां को ले जाकर मिलाया। जूही की बहन नेहा ने सुधीर की मां से सुधीर की तारीफ करते हुए बताया सुधीर भैया ने हमारी बहुत मदद किया है आंटी। सुधीर ने नेहा और उसकी मां को जूही के बारे में कुछ नहीं बताया। इतना कहा मैडम अभी बहुत बीजी हैं फुर्सत मिलते ही वो आ जायेंगी। अगले दिन सारे अखबारों में जूही के घायल होने और विधायक गुप्ता जैसे दबंग नेता को भागने पर मजबूर करने के उसके बहादुरी भरे कारनामों की खबरें छपी थी। अब हर तरफ जूही के ही चर्चे हो रहे थे।

 

जया ने भीं सुधीर से मिलकर जूही का हाल चाल लिया। चूंकि जूही इस समय आईसीयू में थी इसलिए किसी से मिलने की मनाही थी। जया ने अपने पिता के बुराइयों के लिए अफसोस जताया और चली गई। दूसरे दिन जूही को होश आया और सामने सुधीर और उसकी मां को पाकर बहुत खुश हुई। 15 दिनों के भीतर जूही और उसकी मां दोनों पहले से काफी बेहतर थे लेकिन दोनों को यह नहीं पता था कि दोनों एक ही अस्पताल में भर्ती है। इस दरम्यान सुधीर ने दोनों का पूरा ख्याल रखा। सुधीर की मां जूही के पास ही रहकर उसका देख भाल करती रही।

 

जब दोनों को अस्पताल से छुट्टी हुई और सुधीर सबको एक ही गाड़ी में बैठाने लगा तब जूही ने अपनी मां और बहन को देखा तो उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा। उसी तरह जूही की मां और बहन को हुआ। दोनों सुधीर की खिंचाई करने लगे तब सुधीर की मां ने सारी सच्चाई बताई। सुनकर दोनों मां- बेटी अवाक होकर सुधीर को देखने लगे। बेटा घर चलो मैं तुम्हारी खबर लेती हूं। जूही ने जब सुधीर का कॉलर पकड़ कर कहा तो जूही की मां और उसकी मां और बहन सभी हंसने लगे। जूही की मां ने सुधीर की तारीफ करते हुए कहा बेटा तुमने जो किया है शायद मेरा सगा बेटा होता तो इतना कभी नहीं कर पाता। तुमने इंसानियत का बहुत बड़ा फर्ज अदा किया है। कोई रिश्ता न रहते हुए भी तुमने जो हम दोनों मां- बेटी के किया किया है उसके लिए हम दोनों तुम्हारे आजीवन ऋणी हो गए। इतनी तारीफ मत करें आंटी जूही मैडम ने भी मेरी काफी मदद किया है। भगवान ने तुमको मेरे लिए ही बनाकर भेजा है बच्चू तो क्यों नहीं करोगे। अब तो मैं तुम्हारी जान कभी नहीं छोड़ने वाली जूही ने सुधीर का हाथ पकड़कर मुस्कुराते हुए कहा। फिर सब हंसने लगे। सुधीर ने कहा- अब घर चलें देर हो रही है।

 

शेष भाग -20 में।

लेखक- श्याम कुंवर भारती।

 

याचिका खारिज कर हाईकोर्ट बोला- बेटे से ‌यौन उत्पीड़न का कृत्य वैवाहिक विवाद नहीं माना जा सकता | ऑनलाइन बुलेटिन

 


Check Also
Close
Back to top button