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सुरक्षा परिषद में भारत | ऑनलाइन बुलेटिन

©रामकेश एम यादव

परिचय- मुंबई, महाराष्ट्र.


 

 

सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सदस्यता दिलाना चाहती है दुनिया।

चीन की स्थायी सदस्यता छीनकर,

बाहर का रास्ता दिखाना चाहती है दुनिया।

 

चीन की विस्तारवादी नीति से बौखलाया विश्व,

वीटो पावर का तमगा हटाना चाहती है दुनिया।

हर किसी को गुलाम बनाना चाहता है चीन,

अब उसका नया तोड़ ढूँढना चाहती है दुनिया।

 

रक्त – रंजित रोज – रोज हो रही वसुधा,

अमन-शांति का सुख पाना चाहती है दुनिया।

विकासशील देशों के साथ हो रहा अन्याय,

असमानता की दीवार गिराना चाहती है दुनिया।

 

राष्ट्र संघ की स्थापना में इसका है बड़ा हाथ,

कवच-कुण्डल इसे पहनाना चाहती है दुनिया।

भारत ही एक ऐसा मात्र देश है जग में,

जिसके हाथों न्याय पाना चाहती है दुनिया।

 

खत्म करेगा भारत दुनिया से बारूद का धुआँ,

सर- आँखों पर इसे बिठाना चाहती है दुनिया।

राजनीति की भी शिकार हो रही महाशक्तियाँ,

संयुक्तराष्ट्र का चेहरा बदलना चाहती है दुुनिया।

 

कोरोना काल में देख चुकी वीटो पावरवालों को,

हर समस्या से निजात पाना चाहती है दुनिया।

त्याग- तपस्या की बुनियाद पर खड़ा है भारत,

वर्ल्ड लीडर के रूप में देखना चाहती है दुनिया।

 

पीकर खुद कालकूट ये दूसरों को पिलाया अमृत,

विश्व- शांति का सुख भोगना चाहती है दुनिया।

महाशक्ति ये देश बने, ये जरूरत है विश्व की,

त्याग की हर साँस को सलाम करती है दुनिया।

 

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