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जीते हैं चल | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

©अनिता चन्द्राकर

परिचय- दुर्ग, छत्तीसगढ़


 

भूलकर कल की बुरी याद, आज को जीते हैं चल।

समय सबसे बलवान, अनजाना हर अगला पल।

पछताने से क्या मिलेगा, हम करें आज का मान।

देखें धरती नदियाँ अंबर, सुन लें चिड़ियों का गान।

ख़ुशियाँ फैलाएँ इस जग में, नहीं रहना है अब विकल।

भूलकर कल की बुरी याद, आज को जीते हैं चल।

 

गिनती भर की साँसें मिली, कड़ुवाहट न घोल।

व्यर्थ न जाने दे ज़िन्दगी, ये जीवन है अनमोल।

आओ सपनों को पूरा करें, मन की गाँठें खोल।

जड़ से नाता कैसे टूटे, याद आएँगे मीठे बोल।

आओ दिल से स्वागत करें, होकर भाव विह्वल।

भूलकर कल की बुरी याद, आज को जीते हैं चल।

 

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