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मिशन शक्ति, आजादी का अमृत महोत्सव | ऑनलाइन बुलेटिन

©डॉ कामिनी वर्मा

परिचय- भदोही, उत्तर प्रदेश


 

 

बात है मिशन शक्ति की, आजादी के अमृत महोत्सव की।

 

यह अभियान आया, समाज में नई ऊर्जा लाया।

 

कहने को तो है यह, समय की बर्बादी। लोगों को बुलाओ, मिन्नते मनुहार करो। मेरे कार्यक्रम में व्याख्यान देकर, कार्यक्रम सफल बनाओ।

 

विद्यार्थी बुलाओ, उन्हें गूगल मीट एप डाउनलोड करवाओ।

 

इस हिदायत के साथ, समय पर कार्यक्रम में जुड़ जाना।

 

बच्चे भी मन मसोसे हुए, मैडम ने कहा है, तो जुड़ना ही पड़ेगा।

 

पर प्रश्न है, क्या यह सही मायने में समय की बर्बादी है।

 

नहीं, वक्ता व्याख्यान देने के लिए खंगालते हैं इतिहास को, ढूंढते हैं प्रेरक प्रसंगों को।

 

पूर्वजों को, समय के साथ विस्मृत, अपने गौरवमई अतीत को, संस्कृति को।

 

तब बोलते हैं, बड़े ही गौरवान्वित होकर।

 

आज यह शुभ अवसर आया है,

 

जब किसी अमर शहीद पर, वाणी ने शब्द पिरोए हैं।

 

अतीत की नारियां, जिन्होंने अपने हुनर से रचा है इतिहास।

 

उनको सुनकर, उनके संघर्ष को जानकर।

 

बेटियां चल पड़ी है, बेटियां बढ़ रही है। बेटियां पढ़ रही है।

 

वह जानती है, अपने अधिकारों को।

 

वह जानती है, जीवन के उद्देश्यों को।

 

कर लिया है दृढ़ निश्चय, अब आगे बढ़ते जाना है।

 

नहीं रुकना है, नहीं थकना है।

 

अब बनना है श्रुति शर्मा, अब बनना है गार्गी।

 

अब तोड़ने है सारे बांध,

 

जो लगाए थे समाज ने,

 

जो लगाए थे पितृसत्ता ने,

 

महज अपने स्वार्थ में।

 

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