.

बागी | Onlinebulletin.in

©हरीश पांडल, विचार क्रांति, बिलासपुर, छत्तीसगढ़


 

 

अन्याय के खिलाफ

आवाज उठाओ तो

बागी कहते हैं

शोषण के खिलाफ

आंदोलन करो तो

बागी कहते हैं

बराबरी की बात

करो तो

बागी कहते हैं

जल, जंगल, जमीन

की बात करो तो

बागी कहते हैं।

आरक्षण की मांग करो

तो बागी कहते हैं

समानता की बात करो

तो बागी कहते हैं

पदोन्नति में आरक्षण

की मांग करो

तो बागी कहते हैं

किसानों की हक

की बात करो तो

बागी कहते हैं

स्कूलों, कॉलेजों की फीस

घटाने की मांग करो

तो बागी कहते हैं

शिक्षा में समानता

की बात करो तो

बागी कहते हैं

निजीकरण का विरोध करो

तो बागी कहते हैं

शोषितों की बहनों- बेटियों

के सम्मान के लिए

आगे आओ तो

बागी कहते हैं

बलात्कारियों की सजा की

मांग करो तो

बागी कहते हैं

जाति उन्मूलन की

बात करो तो

बागी कहते हैं

इंसानों को तुच्छ

पशुओं को उच्च

बतलाते हैं?

इन कुरितियों का

विरोध करें

तो बागी कहते हैं

अंधविश्वास का विरोध

करें तो

बागी कहते हैं

संविधान का माखौल

उड़ाते हैं जो

उनका विरोध करें

तो हमें बागी कहते हैं

इन हालातों को देखते हुए

एक आम इंसान कहता है

हां, हम बागी हैं

सच कहने के आदी हैं

आने वाले भावी पीढ़ी

को बागी बनने की

सीख देंगे

बागी बनकर ही तो

अब हमें अपने हक अधिकार

लेने होंगे

मांगने से जो नहीं

मिलता उसे हमें ही

छीनना होगा

हम गर्व से कहते हैं

हम बागी हैं

सभी बहुजन एक

सुर के रागी हैं

हां हम बागी हैं

धरती को न करें अब नाराज | Newsforum
READ

हम सच कहने के

आदी हैं।

हां हम बागी हैं …

Related Articles

Check Also
Close
Back to top button