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क्रांतिकारी प्रवर्तक | ऑनलाइन बुलेटिन

©हरीश पांडल, विचार क्रांति

परिचय– बिलासपुर, छत्तीसगढ़ 


 

 

शोषित समाज के

क्रांतिकारी प्रवर्तक

कितने हैं इनके

विचारों के समर्थक

चलो इस बात की

आज पड़ताल कर लेते हैं

पीड़ित, मानवता के पक्षधरों

की जांच, आज कर लेते हैं

कहते हैं विचारों से

दुनिया बदलती है

बहुमत जिसकी हो उसकी

सरकार बनती है

आजादी के 73वर्ष बाद भी

शोषितों की सरकार

क्यों, नहीं बनी है

आइये, देखें

शोषित वर्ग के प्रवर्तकों के

विचार पर,

कितने लोग चलते हैं

इसकी सच्चाई सबके

सामने है

हम, कल भी गुलाम थे

हम आज भी, गुलाम क्यों हैं?

इस सच्चाई को जानने

हम केवल दिखावा करते हैं

कि, हमारी आपस में

एकता है

जबकि हमारे, बीच विचारों

में, अनेकता है

हममें गर एकता होती

तो, मूल निवासियों की

कौम, क्यों गुलाम होती

आज तक, पूरे हो गये

होते, शोषितों के, सब अर्जक

शोषित समाज के

क्रांतिकारी प्रवर्तक

कितने हैं, इनके

विचारों के समर्थक

शोषितों को शासक

बनना हो तो

संसद पर कब्जा

करना होगा

तोड़ जातिवाद के

बंधनों को

मूलनिवासियों को

एक होना होगा

सदियों से जो हम पर

तिरस्कार किये हैं

उनको सबक

सिखाना होगा

इसके लिए करना होगा

परिश्रम, अथक

शोषित समाज के

क्रांतिकारी प्रवर्तक

कितने हैं इनके

विचारों के समर्थक

हंसते हैं हम पर वे

जो मुठ्ठी भर हैं

वे शासक, हमारे

दम पर हैं

हमारे, मताधिकार

उनको शासक बनाते

सत्ता, पाकर वे हमें

ही, तड़पाते, सताते

शोषित, अछुत, शूद्र में

हमारे, नाम गिनाते

कद्र करो, अपने

मताधिकार का

मत हिस्सा बनो

किसी के प्रतिकार का

संविधान ने तुमको

मताधिकार का बल दिया है

शासक, तुम हो सकते हो

मताधिकार को, विरोधियों

को, क्यों, देते हो?

वोट हमारा, राज तुम्हारा

इस परिभाषा को जानों

देश के बहुजनों एक होकर

शासक, बनने की, ठानो

तुम बनो अब, अविभाजक

तब कहलाओगे, शोषित

महापुरुषों के समर्थक

अब देखना है कि कितने हैं

शोषित समाज के समर्थक

शोषित समाज के

क्रांतिकारी प्रवर्तक

कितने हैं इनके

विचारों के समर्थक …


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