मेरा प्यारा गांव | ऑनलाइन बुलेटिन
©जलेश्वरी गेंदले, शिक्षिका.
परिचय– पथरिया, मुंगेली, छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ के जिला मुंगेली है में ग्राम दाउकापा।
दुनिया के सबसे अच्छे मिले मुझे मेरे पापा
खूब दिया दुलार ,दिए शिक्षा द्वार।
सबसे प्यारा मुझे मेरा गांव ।
खेल खेल में सीखे घर के काम
मां के नकल जिससे बढ़ता मेरी अकल
गांव में बड़ा पीपल का है पेड़ ।
जिनके नीचे पूरे बच्चे खेलें सारे खेल।
मेरा प्यारा गांव
कभी बाटी भंवरा ,
कभी गिल्ली डंडा ,
कभी चकरबिल्लस तो ,
कभी रेल अम रेल।
भाता मन को हर रोज ये ,शाम
मेरा प्यारा गांव।
गांव की छोर में है विद्यालय
जहां ज्ञान पाने पहुंचे हम दीवाने
सुंदर सुहाने लिए सपने।
सर जी, बहन जी का मार है खाते।
कभी भागे कभी स्कूल जाते।
इस तरह से हम शिक्षा पाते।
मेरा प्यारा गांव।
मेरी पूर्वज ये शिक्षा कहां थे पाए
एक महामानव जो दुनिया मेंआया
शिक्षा का प्रकाश दे गया।
जिससे हुआ पूरा गांव प्रकाश वान
मिली मान सम्मान से भरे हुए भविष्य अपने।
मेरा प्यारा गांव।
सुबह से काम कर शाम को आए
मेहनत मजदूरी कर मेरे मां -पापा घर गृहस्थी चलाएं।
नए-नए रोज सपने मेरे मन को पापा दिखाएं
कहे तू पढ़ लिख ।
आगे बढ़ और मेरी बुढ़ापे के सहारा बन।
जो शिक्षित होकर मनुष्य रूपी जीवन बिताए।
मेरा प्यारा गांव।
हो खेत खलियान में हरियाली
बड़े सुंदर लगते हो मन जैसे हो मस्तानी।
भाई किसानों का ये दिन है बरसाती ।
मेरा प्यारा गांव।
आया दिन जाड़े का
गोर्सी में आग लिए
चार बातें आपस में बतियाते
हल्की-हल्की आग आंच से
ठंड को भगाते आस -पड़ोस
की एक दूसरे को जो खबर है बताते।
शाम होते ही लग जाते लोगों के जमावड़े।
मेरा प्यारा गांव।
जब आता गर्मी का दिन
टप, टप ,टप ,टप टपका महुआ का बीज।
भोर को निकले हम सब मिल
दोपहर की सुस्ती हटा
बोरे- बासी संग हो एक आम अचार ,
साथ हो प्याज ।
सोच के वो दिन हम
हो गया खुश।
मेरा प्यारा गांव।
सुबह होते तैयार हो दोस्तों के साथ स्कूल जाने।
कितने थेअनजान फिर भी अपनापन था।
हर गम से दूर रहते बचपन
अब है वह बीता हुआ कल।
सपना सुहाना था वह पल
आज शहर में कहां पाओगे बीता हुआ कल
मेरा प्यारा गांव।
पीपल ,बरगद ,नीम की छाव
तलाब के ठहरे हुए पानी,
नदियों पर भी बहती धारा
ऐसे मिले सीख जीवन नैया को कैसे लगाएं किनारा
वो बिही का बगीचा।
जहां बड़ा सुनहरा बिता अपना बचपन
मनपसंद का फल खाते।
आम ,अमरूद ,जाम सीताफल पौधा लगाते पेड़ों से मिलती है हवा ताजी
ये सीख मेरे बाबूजी हैं सिखलाते।
मेरा प्यारा गांव।
जहां बचपन बीता ,बेटी क्यों होती है पराई??
जुदाई।
कैसी रस्म बनाई ,बेटी की होती है विदाई।
मेरा प्यारा गांव।
पिता के दुलार, ममता की छाया बहुत-बहुत आभार संस्थान के जो बचपन याद दिलाया।
मेरा प्यारा गांव।
बड़े बुजुर्गों से मिले
जीवन बिताने का सुंदर और प्रेरणादायक सलाह।
मेरा प्यारा गांव।