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तुम्हें तो हम से प्यार है | ऑनलाइन बुलेटिन

©मजीदबेग मुगल “शहज़ाद”

परिचय- वर्धा, महाराष्ट्र


 

रूम झूम सी तेरे पायल की झनकार है।

पागल हुआ जाता मेरा दिल बेकरार है ।।

 

संगीत का दर्दी बनेगा वो तो उनका दर्दी।

दिल पे करे राज वो मेरे भी सरकार है ।।

 

उचट गया मन न लागो किसी बात में आज ।

गीत संगीत की करे उसी से दरकार है ।।

 

बैठ गया दिल गम की मार से वो जानम ।

एक बार कहो तुम्हें तो हम से प्यार है ।।

 

फूलों की कलियों की खुशबु महेक मैं चाहूं।

खुशिया पाऊं संगीत महफिल में हजार हैं ।।

 

रात रात जागकर सुनता हुं मैं संगीत को ।

जब कहो मैं तय्यार ना कोई इनकार है ।।

 

धन दौलत को क्या जानू मैं आशिक तेरा ।

चाहे चाह लेकिन मिले तो एक धिक्कार है ।।

 

‘शहज़ाद ‘अलग चाहत का दर्दी दिवाना ये ।

लालची जमाने मे कैसी कदर शिकार है ।।

 

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