हम हिंदी है…… | ऑनलाइन बुलेटिन
संकलन- अर्जुन खुदशाह
परिचय- बिलासपुर, छत्तीसगढ़
हम हिंदी हैं, हिंदी का हम सब को अभिमान हैं।
सारी भाषाएँ प्यारी हैं, पर हिंदी हमारी जान हैं
जन में हिंदी, मन में हिंदी, हिंदी हो हर ग्राम में
हिंदी का उपयोग करें हम अपने हर एक काम में
एक सूर हैं, एक ताल हैं, एक हमारी तान हैं
सारी भाषाएँ प्यारी हैं
जन गण मन की अभिलाषा है
तन मन से वंदन
अभिनंदन अपनी संस्कृति का
आराधना करे हम अपनी भाषा का
हिंदी को मिला राष्ट्रभाषा का हक
1950 में संविधान सभा द्वारा अपनाया।।
हो गया यह भारत पुलकित
जो कमी थी वह पुरी हो गई
धन्य है यह धरती जिसमें हम पैदा हुए
राजभाषा है ये हमारी,
राष्ट्रीयता का प्रतीक है
हिंदी का विरोध करना
क्या यह बात ठीक है?
हिंदी की जो निंदा करते,
वे अब तक नादान हैं
सारी भाषाएँ प्यारी है
पूरब पश्चिम, उत्तर दक्षिण, हिंदी का हो – शासन,
हर नेता दिया करें, सिर्फ हिंदी में ही भाषण
सारे विश्व में फैले हिंदी,
हम सबका अरमान हैं।
सारी भाषाएँ प्यारी हैं …
हैं क्या ऐसे भारतीय जो कश्मीर को अपना नहीं मानते ? | ऑनलाइन बुलेटिन