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नारी | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

©देवप्रसाद पात्रे

परिचय- मुंगेली, छत्तीसगढ़


 

 

अपना देश है अपनी धरती।

अपनी ही माटी में लुटती नारी।।

अत्याचार अहिंसा का शिकार।

अपने ही घर दम घुटती नारी।।

 

इतिहास के पन्ने हैं बतलाते,

सदियों से छली जाती रही है।

त्याग समर्पण विश्वास के बदले

अपनों से धोखा खाती रही है।।

 

दुश्मनों पर जो पड़ती भारी।

किन्तु कुचक्र से हारी है नारी।।

इश्क़ – मोहब्बत के नाम पर।

टुकड़ो में काटी जाती है नारी।।

 

जाग गई तो जग का कल्याण।

माता सावित्री बन प्रेरणा  नारी।।

बदले की चिंगारी  भड़क उठी तो,

वीरांगना फूलन बन इतिहास गढ़ती नारी।।

 

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