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खून में रहते हैं | Newsforum

©राजेश कुमार मधुकर (शिक्षक), कोरबा, छत्तीसगढ़


 

माँ-बाप मरकर भी नहीं मरते हैं

क्योंकि वो हमारे खून में रहते हैं

 

जिसने हमें सिंचकर बड़ा किया

जिसने हमको अपना नाम दिया

जिसने हमारे लिए जीवन जिया

जिसने हमारा जवाबदारी लिया

जो हमारे हर दुख को हरते हैं

माँ-बाप मरकर भी नहीं मरते हैं

क्योंकि वो हमारे खून में रहते हैं

 

जिसने जीने का कला सिखाया

जिसने सही गलत अंतर बताया

जिसने हमें है रोते को हँसाया

जिसने माँ-बाप का फ़र्ज निभाया

जो हमेशा हमारे हित में कहते हैं

माँ-बाप मरकर भी नहीं मरते हैं

क्योंकि वो हमारे खून में रहते है

 

जिसने अपना दुख बताया नहीं

जिसने हमारा मान घटाया नहीं

जिसने हमसे ध्यान बटाया नहीं

जिसने कभी भी भेद किया नहीं

जो हमारे लिए परिश्रम करते हैं

माँ-बाप मरकर भी नहीं मरते हैं

क्योंकि वो हमारे खून में रहते हैं

 

जिसने हमें है चलना सिखाया

जिसने सबसे परिचित कराया

जिसने है सारे गमों को हराया

जिसने बताया कोई नहीं पराया

जो परिस्थितियों से नहीं डरते हैं

माँ-बाप मरकर भी नहीं मरते हैं

क्योंकि वो हमारे खून में रहते हैं

 

जिसने सपनों को परवान दिया

जिसने उड़ने को आसमान दिया

जिसने पहले गुरु बन ज्ञान दिया

जिसने जीने को अरमान दिया

जो हमारे खून में हमेशा बहते हैं

माँ-बाप मरकर भी नहीं मरते हैं

क्योंकि वो हमारे खून में रहते हैं …


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