महलों का ख्वाब कभी | ऑनलाइन बुलेटिन
©गायकवाड विलास
परिचय- लातूर, महाराष्ट्र
पहले भी हम राजा थे इस संसार में,
आज भी हम राजा है अपने जीवन में।
धन-दौलत से कोई भी नहीं है रिश्ता हमारा,
फिर भी हम सच्चाई और ज्ञान के दौलत से मालामाल है।
ग़लत रास्तों पर नहीं है,ये कदम हमारे,
और नैनों में चांद तारों की भी आस नहीं है।
महलों का ख्वाब कभी आया नहीं हमको,
हमारी कुटिया भी किसी महलों से कम नहीं है।
औरों के ठाठ-बाट देखकर हम मायूस नहीं होते,
किसी की छीनकर खुशियां हम जश्न नहीं मनातें।
हर आंगन में हो यहां हंसी की किलकारियां,
यही आरज़ू मन में लेकर हम यहां जीते है।
अकेले आएं है हम इस दुनिया में,
मिट्टी की गोद में ही सभी को यहां चिरकाल सोना है।
जब तक चलती है सांसें,करो कुछ अच्छे कर्म,
नीतियां और अच्छी सीख यही मेरे लिए खजाना है।
फूल सुख जाने के बाद भी खुशबू अपनी छोड़ जाते है,
अच्छे कर्मों से ही कई नाम यहां अमर हो जाते है।
ऐसे ही जियो जिंदगी जिसे याद रखें ये जमाना,
यही विचारधाराएं लेकर हम यहां चलते है।
पहले भी हम राजा थे इस संसार में,
आज भी हम राजा है अपने जीवन में।
धन-दौलत से कोई भी नहीं है रिश्ता हमारा,
फिर भी हम सच्चाई और ज्ञान के दौलत से मालामाल है।
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