गरीब के संसो –फिकर | Newsforum
©हरीश पांडल, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
हाय रे हाय रे
ग़रीबी म ना
जीना मोर दुश्वार हे
ग़रीबी म ना
दाई-ददा
खटियां म परे
बेटा खोजय बुता ।
संगी बेटा
खोजय बुता
खेत-खार
करजा मा बुडे
सामंत मारे जुता ।
संगी सामंत मारे जुता
हाय ये, हाय रे
ग़रीबी म ना
जीना मोर दुश्वार हे
गरीबी म ना
करजा छुटय के
पेट जियय
का करै उपाय,
संगी का करै उपाय
हंडियां के बांचे
पसिया ल
नोनी बर लुकाय,
संगी बाबू बर लुकाय
हाय रे ग़रीबी म ना
जीना मोर दुश्वार हे
गरीबी म ना
ढेचकी के पानी
डबकत रहिंगे
नईये गा अनाज,
संगी नईये गा अनाज
दुखी सब समाज
संगी दुखी सब समाज
हाय रे हाय रे
ग़रीबी म ना
जीना मोर दुश्वार हे
गरीबी म ना
पथरा म बंदन बुकके,
कईसे सामंत
करय राज
संगी सामंत करे राज
भाग-करम के
खेल गढके
लुटथे समाज
संगी लुटथे समाज
हाय रे हाय रे,
ग़रीबी मां ना
जीना मोर दुश्वार हे
गरीबी म ना …