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Storm आंधी…

©नीलोफ़र फ़ारूक़ी तौसीफ़

परिचय- मुंबई, आईटी टीम लीडर


 

हम परिंदों को कहीं तो आशियां बनाना होगा।

आंधियां ने उजाड़ डाला है, कहीं तो जाना होगा।

 

तेज़ हवाओं में बिखर गया एक तिनका – तिनका,

तूफ़ानों के बीच ही अब अपना ठिकाना होगा।

 

शहर से कहीं दूर तो निकल आएं हैं हम,

शहर का हर परिंदा यहां अनजाना होगा।

 

नकाब चढ़ा रखा है हर किसी ने चेहरे पे,

यहां क्या किसी ने मुझ बदनसीब को पचाना होगा।

 

हाथ में दीया लिए, कई शब गुजारी इंतजार में,

ऐसी शम्मा का क्या, कहीं कोइ परवाना होगा।

 

कुछ सूखे पत्ते गिरे मिले हैं दरखतों के,

टूटा है पर बिखरा नहीं, शायद कोई रिश्ता पुराना होगा।

 

आंधियों को देख कर,मिंच ली हैं आंख बच्चों ने,

आंखें खोलकर मुक़ाबला करने को एहसास दिलाना होगा।

 

तबाही का मंज़र और किया होगा इस दिल का,

जाना पहचाना चेहरा भी अब बेगाना होगा।

जाना पहचाना चेहरा भी अब बेगाना होगा।

 

 

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Nilofar Farooqui Tauseef, Mumbai
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