छत्तीसगढ़ के मशहूर लोक कलाकार अमित यादव ने कहा- कला शारिरिक सक्षमता की मोहताज नहीं | newsforum
©अमित यादव लोक कलाकार
लोक कलाकार अमित यादव की newsforum.online से सीधी बातचीत
कला, प्रतिभा और सफलता के लिए किसी भी प्रकार की शारिरिक कमजोरी या कमी बाधक नहीं बन सकता दृण संकल्प व मजबूत इच्छा शक्ति के द्वारा कठिन से कठिन उचाईयों को छुआ जा सकता है। इन शब्दों को चरितार्थ करते हैं बिलासपुर जिले के मस्तूरी ब्लॉक के छोटे से गांव डोमगांव में जन्में, पले-बढ़े लोकगीत, जसगीत, पंथी गीत व भजन गायक कलाकार अमित यादव । जो शारिरिक रूप से दिव्यांग होने के बाद भी अपनी लगन और मेंहनत की बदौलत कला जगत उन्होंने नाम कमाया है।
लोक कलाकार अमित यादव बचपन से गांवों में रामायण कार्यक्रम में हारमोनियम बजाकर हिंदी व छत्तीसगढ़ी गीत गाते रहे हैं। आकाशवाणी बिलासपुर, रायपुर व दूरदर्शन में कार्यक्रम अनेक किये। साथ ही सार्थक स्टूडियो कटक, एसबी कंपनी कोरबा, दीप म्यूजिक, स्वरांजलि रायपुर, बंधन फिल्म्स बलौदाबाजार के साथ-साथ विभिन्न स्टूडियो व यूट्यूब चैनलों में अपने गायन से छत्तीसगढ़ में नाम कमाया है।
वे लोकसरिता कला मंच के संचालक भी हैं जो छत्तीसगढ़ के साथ-साथ महाराष्ट्र, यूपी, ओडिशा आदि राज्यों में भी अपने ग्रुप के साथ प्रस्तुति दे चुके हैं, जो कला यात्रा निरंतर जारी है। गायन और गीत, कविता, कहानी लेखन के साथ शिक्षण कार्य करते हैं। कला के साथ इन्होंने एमए हिंदी, समाज शास्त्र, वकालत व कम्प्यूटर की शिक्षा प्राप्त की है।
वर्तमान में सोनपुरी बलौदाबाजार में निवासरत हैं। छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों से दिव्यांग कलाकारों को समेंट कर अपनी अभिनव प्रस्तुति देते हैं, जो 20 वर्ष से अनवरत जारी है। लोक कलाकर अमित यादव का कहना है कि दिव्यांग कलाकार किसी भी तरह के कामकाज करने में अक्षम हैं। सरकार से गुजारिश है कि इन कलाकारों को विशेष महत्व देते हुए पेंशन और शासकीय कार्यक्रमों, कलाजथा आदि कार्यक्रम अधिक से अधिक उपलब्ध करवाए। जिससे दिव्यांग कलाकारों को जीवन यापन करने में किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े और कलायात्रा निरंतर जारी रहे।
©मस्तूरी से राम गोपाल भार्गव की रपट
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