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सीवर का आदमी | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

©डॉ. खन्नाप्रसाद अमीन

परिचय- बाकरोल, गुजरात


 

 

तुम क्यों उतरते हो

मौत के सीवर में

कितनी होती है हररोज

तुम्हारे बंधुओं की दर्दनाक मौतें

फिर भी तुम क्यों

उतरते हो जानलेवा

मौत के सीवरों में ।

 

आखिर कब तक चलेगी  ?

सीवरों में दम घुटने की प्रक्रिया

तुम यह सोचो –

इक्कीसवीं सदी में लोग

चाँद और मंगल पर पहुँचे

और तुम केवल एक ही हो

जो अब भी

पाताल सी मौत की सीवरों में उतरते हो

मौत के मुआवजा से

नहीं पलता तुम्हारा परिवार ।

 

आखिर कब तक तुम ?

सीवरों को छोड़कर शिक्षा ग्रहण करोगे  ?

तुम्हारी ही जाति ने ठेका रखा है क्या ?

स्वच्छ भारत अभियान का

तुम्हें कभी प्रश्न हुआ है

हम ही क्यों करते हैं  ?

सफाईकर्मी का काम

भीम ने संविधान से खोल दिए हैं

तुम्हारे लिए सभी द्वार

फिर भी तुम

बने रहना चाहते हो सीवर का आदमी ।।

 

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