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जननी है, जीवनदायिनी है मां | Newsforum

©सीमा वर्मा, (सरू दर्शिनी), बिलासपुर, छत्तीसगढ़

परिचय: शिक्षा- बीएससी बायोलॉजी, मास्टर ऑफ सोशल वर्क, एलएलबी अध्यनरत, सम्मान- बाल गौरव सम्मान, बेस्ट वूमेन ऑफ छतीसगढ़, छतीसगढ़ माटी सपूत सम्मान, यूपी मिनिस्टर स्वामीप्रसाद मौर्य से सम्मानित, नवल किशोर स्मृति सम्मान {यूपी} और अबतक क्षेत्रिय और राष्ट्रीय स्तर के दो दर्जन से ज्यादा पुरस्कार प्राप्त.


 

धरा पर भगवान का रूप है मां,

जननी है जीवनदायिनी है मां।

तेरी ममता का कोई मोल नहीं,,

दुनिया में सबसे अनमोल है मां ।।

 

मेरे नन्हे से कदमों को चलना सिखायी ,

जीवन जीने के क्या सलीके हैं मुझे ये बतायी।

हर बार मुसीबत से मेरे लिये लड़ी,,

चट्टान बनकर हर वक्त मेरे लिये हुई खड़ी ।।

 

नि:स्वार्थ प्रेम तो सिर्फ मां करती है ,

ज़माने में कहां ऐसी वफा मिलती है।

हमारे लालन- पालन की खातिर,,

अपनी खुशियों को हर वक्त कुर्बान करती है।।

 

मां के नि:स्वार्थ प्रेम का ना करना अपमान ,

 करना हर वक्त तुम उनका सम्मान।

भले ना तुम पूजो पत्थर के भगवान,,

जीवन के अखाड़े की मां ही है असली पहलवान।।

 

मां की ममता के आगे हारा है सारा संसार ,

मां के बिना फीका लगता है दुनिया में सबका किरदार ।

धरा पर भगवान का रूप है मां,,

जननी है, जीवनदायिनी है मां।।

 


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