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डॉ० भीमराव अंबेडकर और संविधान | ऑनलाइन बुलेटिन

©नीलोफ़र फ़ारूक़ी तौसीफ़

परिचय– मुंबई, आईटी सॉफ्टवेयर इंजीनियर.


 

डॉ भीमराव अंबेडकर का नाम जब भी सामने आता है चारों ओर संविधान की गूँज सुनाई देने लगती है। ये एक प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ के साथ-साथ समाज सुधारक भी रहे। समाजिक और आर्थिक की दयनीय स्थिती में गुज़रता बचपन और नीच जाती यानी दलित के नाम से जुड़ा रिश्ता जो काँटों की मानिंद इन्हें चुभता रहा और ज़ख्म देता रहा। छुआछूत की भावना समाज में विषैले गन्ध जैसी फैली हुई थी, जिसके तदोपरांत इन्हें अशिक्षा, अंधविश्वास, समाजिक बेड़ियों ने अत्यंत पीड़ा पहुँचायी।

 

इनकी प्रतिभा देख महाराज गायकवाड़ ने छात्रवृत्ति उपलब्ध कराई और पी एच डी के लिए ‘रुपयों की समस्या’ जैसे विषय पे शोध किया जो भारत के लिए अत्यंत अहम पहलू भी था।

 

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद विधि मंत्री बनाया गया एवं तदोपरांत संविधान प्रारूप समिति का अध्यक्ष चुना गया। डॉ० . अम्बेडकर की अध्यक्षता में भारत की लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष एवं समाजवादी संविधान की संरचना हुई। जिसमें मानव के मौलिक अधिकारों की पूर्ण सुरक्षा की गयी। 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान राष्ट्र को समर्पित कर दिया गया। 25 मई 1950 को डॉ. अम्बेडकर ने कोलम्बो की यात्रा की। 15 अप्रैल 1951 को डॉ. अम्बेडकर ने दिल्ली में अम्बेडकर भवन का शिलान्यास किया।

 

डॉ भीमराव अंबेडकर एक नायक बन हमारे ह्रदय में हमेशा मौजूद रहेंगे जो हमारे लिए प्रेरणाश्रोत हैं। पिछड़े वर्गों को न्याय, समानता का अधिकार दिलाने में स्वंय को समर्पित किया।


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