जान-ए-जा | ऑनलाइन बुलेटिन
©भरत मल्होत्रा
परिचय- मुंबई, महाराष्ट्र
मेरी ज़िंदगी मेरे जान-ए-जा,
मुझे ले चलो कभी उस जगह,
जहां तू ही मेरा नसीब हो,
जहां दिल के तू ही करीब हो,
जहां गम ना कोई आ सके,
जहां नफरतें ना सता सके,
जहां कर्ब हो जहां हो खुशी,
जहां चाहती हो हमें ज़िंदगी,
जहां दिल ना मेरा उदास हो,
जहां हर घड़ी तेरी आस हो,
मेरी जिंदगी मेरे जान-ए-जां,
मुझे ले चलो कभी उस जगह,