भीम श्रद्धांजलि | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

©मजीदबेग मुगल “शहज़ाद”
महापरिनिर्वान दिन- 6 डिसेंम्बर
गज़ल
6 डिसेम्बंर दिन आया महापरिनिर्वान का।
संविधान लिखा जिसने उसके अभिमान का।।
भिम के जाने से गुलशन हुआ विराना।
किया था काम दुखियों के सम्मान का।।
जाने के बाद संविधान सुरक्षा ग्रंथ ।
यह सुरक्षा कवच भारतीय इन्सान का ।।
श्रध्दा सुमन विश्व कर रहा अर्पण भीम ।
साथ में सम्मान हो रहा संविधान का ।।
चाहे हो कोई धर्मी संविधान उसका ।
हक अधिकार बहाल करे अभिमान का ।।
अन्न वस्त्र घर काम शिक्षा का हक्क है ।
लोकशाही में काम है संविधान का ।।
अमीर गरीब का भेद भाव मिट गया ।
सारा खेल खत्म हुआ बे ईमान है।।
‘शहज़ाद ‘ दुआ देते देश में भिम को ।
सरकार मान करती भिम के फर्मान का।।
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