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हिस्सा-ए-बाज़ार ना बन | ऑनलाइन बुलेटिन

©भरत मल्होत्रा

परिचय- मुंबई, महाराष्ट्र


 

हिस्सा-ए-बाज़ार ना बन,

हिम्मत रख लाचार ना बन,

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कुछ अपनी भी सोचा कर,

सबका खिदमतगार ना बन,

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दुश्मन भी रख थोड़े से,

सब लोगों का यार ना बन,

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दिल में भी रख कुछ बातें,

चलता फिरता अखबार ना बन,

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सबकी अपनी मर्जी है,

किसी का ठेकेदार ना बन,

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रिश्ते भी कमा ले थोड़े से,

दौलत का पहरेदार ना बन,

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प्यार का मरहम लगा सबको,

नफरत का हथियार ना बन,

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