वो खजूर खाऊॅगा जरूर | ऑनलाइन बुलेटिन

©मजीदबेग मुगल “शहज़ाद”
परिचय- वर्धा, महाराष्ट्र
नात
यकीन मुझको मैं मदिना जाऊॅगा जरूर।
अपने दिल का वो मद्दुआ पाऊॅगा जरूर ।।
चाह मुस्तुफा की देखुं वो दयारे मदिना ।
खाये मोहम्मद वो खजूर खाऊॅगा जरूर ।।
मस्जिदे नबवी में हो नमाज अदा अपनी ।
जबी को सजदा वहां पर दिलाऊंगा जरूर।।
तवाफे काबा खुदा की अकिदते साफ़ है।
दिल में नबी मोहब्बत जताऊंगा जरूर ।।
दिन रात बस एक ही ख्याल कब पहुंचुं मदिना।
है यकीन चश्में दीदार कराऊंगा जरूर ।।
किस्मत का धनी कहलाऊं हो पूरा ख्वॉब।
खुद को जन्नती हकदार बनाऊँगा जरूर ।।
‘शहज़ाद ‘हरेक की दुवा कबुल हो आमीन ।
खुदा नबी की चाह का घर बनाऊँगा जरूर।।