मानवता में छेद | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

©गायकवाड विलास
मानवता में छेद, जात-पात का भेद,
ये कैसी हवाएं यहां संसार में बह रही है।
उलट गिनती उसी पुरातन काल की,
फिर क्युं आज भी यहां फिर से दोहराई जा रही है?
आदिमानव से लेकर,आधुनिक मानव का सफ़र,
करते-करते आज हम यहां तक पहुंच गए।
बदल गया सबकुछ वो हमें भी लगता है कल्पनाओं के बाहर,
मगर वही नीतियां और भेदभाव को हम कहां छोड़ आए।
जहां भी कहीं आज हम देखते है यहां पर,
हर किसी के झेंडे फहराएं दिखते है चौराहे चौराहे पर।
बांट लिया सबने यहां हुतात्मा ओ के संग संग रंगों को भी,
यही आधुनिकता पर हुआ देखो नया प्रहार है।
वही लहू का लाल रंग कभी हमें यहां दिखता नहीं,
ज़रुरत पड़ने पर ही हम यहां सबकुछ भूल जाते है।
इन्सानों इन्सानों में कैसा ऊंच-नीच और भेदभाव,
यही निर्मल शिक्षा का ज्ञान कहां हम समझ पाएं है।
मानवता में छेद,जात-पात का भेद,
यही विचारधाराएं हमें विनाश की ओर ले जाती है।
अब तो छोड़ दो वो खेल पुराना, जिसमें नहीं संसार की भलाई,
बूरी नीतियां और बूरे कर्मों में ही छुपा विनाश का अंधकार है – – –
ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन में प्रतिदिन नवीनतम सरकारी नौकरी, रोजगार समाचार, परीक्षा पाठ्यक्रम, समय सारिणी, परीक्षा परिणाम और कई अन्य के लिए onlinebulletin.in का अनुसरण करते रहें.