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परिवर्तन में नयापन | ऑनलाइन बुलेटिन

©पूनम सुलाने-सिंगल

परिचय– जालना, महाराष्ट्र


 

 

 

चलो, इस बार होली के त्योहार की

तैयारियाँ कुछ अलग ढंग से करते हैं

घर के धूल, जाले, कचरे के साथ-साथ

व्यर्थ विचारों से खुद को आजाद करते हैं

 

शिकायतों की बंधी हुई है जो गाठे

उनको होली के अग्नि में अर्पण करते हैं

गुझियाँ, पूरन पोली की मिठास को

चलो,प्यार भरे रिश्तों में घोलते हैं

 

कर स्वीकार जो जैसा है उसका

एक दूजे के रंग में चलो रंगते है

भूलाकर गलतियाँ सभी की

एक दूसरे को दिल से माफ करते हैं

 

रंग बिरंगी फूलों सी मुस्कान

चेहरे पर सबके बिखेरते हैं

पतझड़ के बाद की हरियाली सी

नव विचारों की शुरुआत करते हैं

 

परिवर्तन में है जो नयापन

बदलती हुई प्रकृति से सीख लेते हैं

होली के इस पावन त्योहार पर

चलो जीवन को खुशियों से भरते हैं

 


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