मुस्कान सौंदर्य | ऑनलाइन बुलेटिन
©अशोक कुमार यादव
परिचय- मुंगेली, छत्तीसगढ़.
अंग सौंदर्य आभा हीरक दिव्यमान।
सुरलोक की अप्सरा मेरी मुस्कान।।
काले कुंतल कमर झूले वृहद रेशमी।
लट मुख शोभित घुंघराले लुभावनी।।
सुरम्य मुख चंद्रमा की सोलह कलाएं।
निशा की प्रहर जगमग करती लीलाएं।।
कनिष्ठ कर्णफूल लटक कर टिमटिमाते।
लाल भाल बिंदिया प्रिय देख शरमाते।।
ग्रीवा शोभित मोती जड़ित नौलखा हार।
प्रियतम दृश्य अंकित छवि झलका प्यार।।
हस्त कोमल साजन नाम मेहंदी चित्रकारी।
विश्व सुंदरी,मोहिनी लगती हो बड़ी प्यारी।।
मानसरोवर हंसिनी सदृश कृश कमरिया।
मोंगरा, चमेली की खुशबू लेता सांवरिया।।
चंचल चाल मृगी चलती बन मिस इंडिया।
मैं छूलूं तुझे और पालूं तब आए निंदिया।।
जिस दिन जब छुओगी आसमान की बुलंदी।
तब मिलेगी सुख,शांति,अशोक,गर्व,आनंदी।।
आपके जीवन में सदा खुशियों की बहार हो।
चारों दिशाओं में तुम्हारी ही जय-जयकार हो।।
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