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भाई बहन का ये रिश्ता | ऑनलाइन बुलेटिन

©गायकवाड विलास

परिचय- लातूर, महाराष्ट्र


 

 

भाई दूज में बहना दौड़ी दौड़ी आई,

संग संग अपने उम्रभर की दुवाएं है लाई।

भाई बहन का ये रिश्ता जग में है निराला,

उसी पवित्र रिश्ते का सारे जहां में है बोलबाला।

 

नहीं है कोई आरज़ू उसी के सच्चे मन में,

जैसे फूल खिले रहते है हरे भरें चमन में।

जिस प्यार में नहीं है शर्तों का बंधन कोई,

ऐसा ये रिश्ता जैसे संग संग चलती है परछाई।

 

झूठी अनबन रहती है उनके रिश्ते में,

जैसे पलभर में ही बदलती है वो हवाएं।

अटूट बंधन है ये जनम से जुड़ा हुआ,

उसी रिश्ते को यहां कभी किसी की नजर न लग जाए।

 

बचपन की वो प्यारी प्यारी यादें लिए मन में,

कभी लड़ना कभी रुठना पलभर में।

मां बाप की बनकर लाडली खिलती रही जो आंगन में,

वही बहना आज आयी है भैया के घर द्वार में।

 

ये रिश्ता जैसे है वो दिया और बाती,

ये रिश्ता जैसे है वो गीत और संगीत।

जिस रिश्ते में कभी न आएं दुरियां इस जीवन में,

इस रिश्ते से बढ़कर कुछ भी नहीं है सारे संसार में।

 

भाई दूज में बहना दौड़ी दौड़ी आई,

संग संग अपने वो उम्रभर की दुवाएं है लाई।

भाई बहन का ये रिश्ता ऐसा ही खिलता रहे जहां में,

जैसे सांसों तक चलती है संग संग वो परछाई।

 

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