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उनका अपना कौन है | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

©गायकवाड विलास

परिचय- लातूर, महाराष्ट्र


 

बेफिक्र होकर जीने दो उन्हें भी इस संसार में,

घर बाहर अपनों के सिवा उनका अपना कौन है?

सदियों से डर डरकर जी रही है ये सभी नारियां,

उन्हें भी खुलकर यहां जीने का अधिकार है।

 

हमारे मां,बहन,बेटी जैसी वो भी एक बेटी है,

फिर क्युं वो इन्सानों के भीड़ में भी अकेला महसूस करती है।

उन्हें भी हक़ है यहां हंसकर जीने का,

फिर भी वो मुरझाएं फूल जैसे क्युं यहां पर रहती है।

 

संस्कृति,आचार-विचार और सभ्यता के पुजारी,

ये कैसी पुरूष प्रधान संस्कृती आज भी यहां चला रहे है।

औरत के देवी के रूप को सभी पुजते है यहां,

फिर भी आज तक उसी औरत को देवी का दर्ज़ा यहां कहां मिला है।

 

बीत गए साल,बदल गया ये सारा ज़माना भी,

मगर वही रूढ़ी परंपराएं आज भी यहां चल रही है।

किसी न किसी जगह पर इस संसार में रोज़,

कई बेटियों की चीख आसमान में गुंज रही है।

 

ऐसे अज्ञान ज्ञानी यों को कब समझ आयेगी ये नारी,

नारी बिना ये सारा संसार उजड़े हुए चमन जैसा ही है।

छोड़ दो ये ज़ुल्म,अत्याचार और उनको अपमानित करना,

नारी ही इस पवित्र संसार की जगत जननी है।

 

बेफिक्र होकर जीने दो उन्हें भी इस संसार में,

घर के बाहर अपनों के सिवा उनका अपना कौन है?

सदियों से डर डरकर जी रही है ये सभी नारियां,

उन्हें भी खुलकर यहां जीने का अधिकार है।

 

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