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मेरे बाबा-दादी | newsforum

©राहुल सरोज, जौनपुर, उत्तर प्रदेश


 

जब मैं छोटा था, चोट लगने पर रोता था,

कोई गोंद में उठकर मेरे आंसू पोंछता था,

वो थे मेरे बाबा,

 

जिनकी उंगली पकड़कर बाज़ार मैं जाता था,

हो जाती कभी जो देरी, सूनी राहों से घबराता था,

कोई कांधे पर बिठाकर घर को लौटता था,

वो थे मेरे बाबा,

 

मेरी गलतियों पर मुझको डांट लगती थी,

कोई सत्य, अहिंसा का मुझे मार्ग बताता था,

वो थे मेरे बाबा,

 

जब नींद मुझे ना आती, मुझको सर्दियां सताती,

कोई परियों की कहानी मुझको सुनाता था,

वो थी मेरी दादी।

 

मैं ज़िद कभी जो करता, मां से कभी झगड़ता,

आंचल में मुझे छिपाकर कोई मां से बचाता था,

वो थी मेरी दादी।

 

आज वे नहीं हैं इस जहां में लेकिन,

आशीर्वाद उनका मुझपर सदा बना हुआ है,

उनसे सीख कर ही जीवन सफल है मेरा,

उनकी ही बदौलत मेरा नाम मुझे मिला है,

 

नमन है उस पुण्यात्मा को।।

मेरे बाबा-दादी …


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